नई दिल्ली ।नीरव मोदी की भारत प्रत्यर्पण अपील पर सुनवाई ब्रिटेन की हाई कोर्ट में टाल दी गई है। यह मामला रॉयल कोर्ट्स ऑफ जस्टिस में लॉर्ड जस्टिस जेरेमी स्टुअर्ट-स्मिथ और जस्टिस रॉबर्ट जे की पीठ के समक्ष आया। सुनवाई के दौरान जजों ने कहा कि नीरव मोदी पहले भी भारत प्रत्यर्पण रोकने की कई कोशिशें कर चुका है, जो असफल रही हैं। भारत सरकार ने उसकी मुंबई की आर्थर रोड जेल में प्री-ट्रायल हिरासत की शर्तों के बारे में ठोस और विस्तृत आश्वासन पेश किए। इन्हीं आश्वासनों के आधार पर सुनवाई मार्च 2026 तक स्थगित कर दी गई।
सुनवाई की प्रक्रिया और समय-सीमा
अदालत ने फरवरी 2026 के मध्य तक लिखित दलीलें दाखिल करने की समय-सीमा तय की।मार्च या अप्रैल 2026 में दो दिन की सुनवाई होगी।इस सुनवाई में यह तय होगा कि नीरव मोदी की अपील दोबारा खोली जाए या नहीं।अनुमति न मिलने की स्थिति में नीरव मोदी का भारत प्रत्यर्पण तुरंत संभव हो सकेगा।
सुनवाई के दौरान प्रमुख बातें
सुनवाई के दौरान प्रमुख बातें
54 वर्षीय नीरव मोदी वीडियो लिंक के जरिए उत्तर लंदन की पेंटनविल जेल से पेश हुए। CPS ने बताया कि भारत से CBI और ED के चार वरिष्ठ अधिकारी लंदन पहुंचे थे। नीरव मोदी के वकीलों ने संजय भंडारी मामले का हवाला दिया, जिसमें मानवाधिकार आधार पर राहत मिली थी। CPS ने कहा कि यह मामला नीरव मोदी के केस पर लागू नहीं होता।
पृष्ठभूमि
नीरव मोदी मार्च 2019 से ब्रिटेन में हिरासत में हैं। उन पर PNB से लगभग 2 अरब डॉलर की धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग और सबूतों में छेड़छाड़ के तीन अलग-अलग मामले दर्ज हैं।अप्रैल 2021 में तत्कालीन ब्रिटिश गृह मंत्री प्रीति पटेल ने प्रत्यर्पण का आदेश दिया था।नीरव मोदी लगातार कानूनी दांव-पेंच अपनाते रहे हैं, लेकिन भारत के ठोस आश्वासनों और कोर्ट के सख्त समय-निर्धारण के बाद उनका प्रत्यर्पण अब और लंबित नहीं रह पाएगा।

