इस्लामाबाद। पिछले दिनों अफगानिस्तान और पाकिस्तान (Pakistan-Afghanistan) के बीच तनावपूर्ण माहौल हो गया था। दोनों देशों के बीच युद्ध जैसी स्थिति भी आ गई, जहां पाकिस्तान ने तालिबान के शासन वाले अफगानिस्तान (Afghanistan) में कई हवाई हमले भी किए। इसके बाद पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से होने वाले सीमा व्यापार को भी बंद कर दिया। पाकिस्तान को लगा था कि इस कदम से तालिबान को आर्थिक झटका लगेगा, लेकिन अब उलटा हो गया। व्यापार को बंद करने से पाकिस्तान (Pakistan) को साढ़े चार अरब डॉलर का नुकसान (Loss of $4.5 billion) हुआ है। इससे शहबाज शरीफ के देश की कमर टूट गई है।
पाकिस्तान-अफगानिस्तान जॉइंट चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PAJCCI) का कहना है, ”बॉर्डर बंद होने से अब तक पाकिस्तान के व्यापार को $4.5 बिलियन से ज़्यादा का नुकसान हुआ है।” पाकिस्तानी मीडिया ने चैंबर के हवाले से बताया कि खेती और कंस्ट्रक्शन के पीक टाइम में रोजाना एक्सपोर्ट $50 मिलियन से $60 मिलियन के बीच पहुंच गया था। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यही स्थिति बनी रही, तो दिसंबर और मार्च के बीच संतरे और आलू जैसे मौसमी एक्सपोर्ट को लगभग $200 मिलियन का और नुकसान हो सकता है।
बता दें कि पाकिस्तान का आरोप है कि तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) के लड़ाके उसके देश में आतंकी हमलों को अंजाम दे रहे हैं। टीटीपी के कथित हमलों में पाकिस्तानी सेना के कई जवानों की मौत हो चुकी है, जबकि आम नागरिकों की भी जान गई है। इसी के चलते पाकिस्तान ने लगभग दो महीने पहले अफगानिस्तान के साथ सभी व्यापार मार्ग बंद कर दिए थे, जिसके जवाब में अफगान ने भी जवाबी कार्रवाई की थी।
अफगानिस्तान ने भी की थी जवाबी कार्रवाई
इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान (IEA) ने भी पाकिस्तान के साथ व्यापार निलंबित कर दिया और उद्योगपतियों और व्यापारियों से वैकल्पिक व्यापार मार्गों का उपयोग करने का आग्रह किया। अफगान अधिकारियों का कहना है कि व्यापार मार्गों को बार-बार बंद करने और वाणिज्यिक और मानवीय मामलों के राजनीतिकरण के कारण IEA के पास यह कार्रवाई करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।
पाक को उलटा पड़ा अपना कदम
पाकिस्तान के अखबार ने PAJCCI का हवाला देते हुए बताया कि इस बंद होने की वजह से महत्वपूर्ण व्यापार गलियारे को लगभग खत्म कर दिया, जिसकी कीमत सालाना अरबों डॉलर थी। बंदी से पहले, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग $2-3 बिलियन प्रति वर्ष था, जिसमें पाकिस्तान उच्च मूल्य वाले सामान निर्यात करता था, जबकि अफगानिस्तान आवश्यक वस्तुओं के लिए पाकिस्तान पर निर्भर था और बदले में कृषि उत्पाद निर्यात करता था। पाकिस्तान को अब अपना ही कदम उलटा पड़ गया है। एक तरफ भारत उसे सालों से आर्थिक झटका देता रहा है, तो दूसरी तरफ अफगानिस्तान से भी उसे अरबों का नुकसान होने लगा।
भारत के बाद अफगानिस्तान का बड़ा कदम
भारत के बाद अब अफगानिस्तान पाकिस्तान का पानी रोकने वाला है। तालिबान सरकार यह योजना बना रही है कि कुनार नदी का बहाव अफगानिस्तान नांगरहार क्षेत्र की तरफ मोड़ दिया जाए। अगर ऐसा होता है कि पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में पानी की भारी किल्लत हो जाएगी। बता दें कि भारत द्वारा सिंधु नदी समझौता रद्द करने के बाद पाकिस्तान पहले ही पानी के लिए मुहाल है। ऐसे में अगर अफगानिस्तान ने भी पानी रोक दिया तो पाकिस्तान के लिए मुश्किलें काफी ज्यादा बढ़ जाएंगी। वहीं, पहले ही पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर जारी तनाव के बीच एक नया मोर्चा भी खुलने का अंदेशा है।
जानकारी के मुताबिक इसको लेकर बैठकें भी हो चुकी हैं और फैसले पर अंतिम मुहर लगनी बाकी है। अफगानिस्तान की खबर के मुताबिक प्रधानमंत्री के आर्थिक आयोग की तकनीकी कमेटी की बैठक में एक प्रस्ताव पास हुआ है। यह प्रस्ताव कुनार नदी के पानी को नांगरहार के दारुंता डैम में ट्रांसफर करने को लेकर है। अब इसे अंतिम फैसले के लिए आर्थिक आयोग के पास भेजा गया है। एक बार यह प्रस्ताव लागू हो गया तो अफगानिस्तान के नांगरहार इलाके में बड़ी संख्या में खेती वाली जमीनों के लिए पानी की समस्या हल हो जाएगा। लेकिन पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा इलाके में पानी की बेहद कमी हो जाएगी।
पाकिस्तान कैसे होगा प्रभावित
कुनार नदी करीब 500 किमी लंबी है। यह पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के चित्रल जिला स्थित हिंदुकुश पहाड़ी से निकलती है। इसके बाद यह दक्षिणी अफगानिस्तान में कुनार और नांगरहार प्रांतों में बहती है। इसके बाद यह काबुल नदी में जाकर मिल जाती है। इन दोनों नदियों से पेच नदी भी जुड़ती और यह फिर से पूरब की तरफ मुड़ती हुई पाकिस्तान पहुंच जाती है। यहां पर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत स्थित अटॉक सिटी में सिंधु नदी से मिलती है।
इस नदी का पाकिस्तान में बहाव सबसे ज्यादा है। सिंधु नदी की तरह यह वहां पर सिंचाई, पीने के पानी और हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर के इस्तेमाल में आती है। खासतौर पर यह खैबर पख्तूनख्वा इलाके लिए बेहद अहम, जहां अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच भिड़ंत होती है। अब अगर अफगानिस्तान उस जगह पर बांध बना देता है, जहां से कुनार पाकिस्तान में एंट्री करती है तो वहां पर हालात खराब हो जाएंगे। इसके चलते पाकिस्तान में सिंचाई, पीने के पानी और हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स के लिए पानी मिलना मुहाल हो जाएगा। बता दें कि भारत द्वारा सिंधु नदी जल समझौता रद्द होने के चलते पाकिस्तान के लोग पहले ही परेशान हैं।
यह भी परेशानी का सबब
सबसे खास बात यह है कि अफगानिस्तान को रोकने के लिए पाकिस्तान कोई दबाव भी नहीं बना सकता। वजह, भारत के साथ तो पाकिस्तान का सिंधु नदी जल समझौता था, लेकिन अफगानिस्तान के साथ उसका कोई ऐसा समझौता नहीं है।

