नई दिल्ली । अक्सर यह धारणा बनाई जाती है कि मुस्लिम-बहुल देशों में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं को समान अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता नहीं मिलती। इसी तर्क के आधार पर कुछ लोग यह भी कहते हैं कि जब मुस्लिम देशों में हिंदू सुरक्षित नहीं हैं, तो भारत में मुसलमानों के बराबरी के अधिकारों की बात क्यों की जाए। लेकिन जमीनी हकीकत इस सोच से काफी अलग है। दुनिया में ऐसे मुस्लिम-बहुल देश भी हैं, जहां हिंदू न केवल सुरक्षित हैं, बल्कि उन्हें धार्मिक, सांस्कृतिक और कानूनी स्तर पर व्यापक आजादी भी मिली हुई है। इनमें सबसे प्रमुख नाम इंडोनेशिया का है।
इंडोनेशिया: जहां हिंदुओं को मिली खुली धार्मिक आजादी
दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम आबादी वाला देश इंडोनेशिया हिंदुओं के लिए धार्मिक सहिष्णुता का बड़ा उदाहरण माना जाता है। यहां हिंदू आबादी भले ही करीब 1.7 प्रतिशत हो, लेकिन उन्हें अपने धर्म के पालन की पूरी स्वतंत्रता है। इंडोनेशिया में हिंदू धर्म परिषद जैसी संस्थाएं मौजूद हैं, जो विवाह, पारिवारिक और धार्मिक मामलों को देखती हैं। हिंदू मंदिरों का निर्माण, पूजा-पाठ, त्योहारों का आयोजन और धार्मिक अनुष्ठान बिना किसी रोक-टोक के किए जाते हैं। खास बात यह है कि यहां रामायण और महाभारत जैसे भारतीय महाकाव्य लोक संस्कृति का हिस्सा हैं। कठपुतली नाटकों, लोक मंचन और पारंपरिक उत्सवों में आज भी राम और कृष्ण के पात्र जीवंत नजर आते हैं।
सांस्कृतिक जुड़ाव और ऐतिहासिक संबंध
भारत और इंडोनेशिया के रिश्ते हजारों साल पुराने हैं। प्राचीन काल में भारतीय व्यापारी और नाविक इंडोनेशिया पहुंचे, जिससे वहां हिंदू और बौद्ध धर्म का गहरा प्रभाव पड़ा। जावा और बाली जैसे द्वीपों में आज भी प्राचीन हिंदू-बौद्ध साम्राज्यों की झलक मिलती है। बाली द्वीप तो आज भी हिंदू संस्कृति का मजबूत केंद्र है। इंडोनेशियाई भाषा ‘बहासा इंडोनेशिया’ में संस्कृत के कई शब्द आज भी प्रचलित हैं, जो इस गहरे सांस्कृतिक संबंध को दर्शाते हैं।
मलेशिया भी है उदाहरण
इंडोनेशिया के अलावा मलेशिया भी एक ऐसा मुस्लिम-बहुल देश है, जहां करीब 6.3 प्रतिशत हिंदू आबादी रहती है और उन्हें धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त है। कुल मिलाकर यह साफ है कि हर मुस्लिम देश में अल्पसंख्यकों की स्थिति एक जैसी नहीं होती और इंडोनेशिया जैसे देश धार्मिक सह-अस्तित्व की मिसाल पेश करते हैं।

