नई दिल्ली । हिंदू कैलेंडर का दसवां महीना पौष मास धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस महीने में भगवान विष्णु और सूर्य देव की विशेष पूजा की जाती है। पौष मास में कई प्रमुख व्रत और त्योहार आते हैं, जो भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के लिए माने जाते हैं। इस महीने में खरमास की शुरुआत होती है और इसके साथ ही भक्त गुरु गोविंद सिंह जयंती, पुत्रदा एकादशी, कालाष्टमी, मासिक शिवरात्रि जैसे महत्वपूर्ण पर्व मनाते हैं। पौष मास को आम बोलचाल में पूष का महीना भी कहा जाता है।
पौष मास 2025 की शुरुआत और प्रमुख व्रत
पौष मास 2025 की शुरुआत 5 दिसंबर, शुक्रवार से हो रही है। इस दिन पौष कृष्ण प्रतिपदा तिथि है और साथ ही रोहिणी व्रत रखा जाएगा। रोहिणी व्रत उस समय मनाया जाता है जब सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र प्रबल होता है। यह व्रत जैन धर्म और हिंदू धर्म में समान रूप से महत्व रखता है। इसके बाद 7 दिसंबर, रविवार को पौष कृष्ण चतुर्थी के दिन अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत मनाया जाएगा। इस व्रत को करने से घर में सुख-समृद्धि और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
मध्य पौष मास: मासिक व्रत और त्यौहार
11 दिसंबर, गुरुवार को कालाष्टमी व्रत और मासिक कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। वहीं 15 दिसंबर, सोमवार को पौष कृष्ण पक्ष की सफला एकादशी होगी। इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से जीवन में सफलता और मानसिक शांति प्राप्त होती है। 16 दिसंबर, मंगलवार को धनु संक्रांति होगी, जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेंगे और खरमास की शुरुआत होगी। इसके अगले दिन 17 दिसंबर, बुधवार को बुध प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इसी तरह, 18 दिसंबर, गुरुवार को मासिक शिवरात्रि मनाई जाएगी, जो हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को पड़ती है।
पौष अमावस्या और अन्य महत्वपूर्ण तिथियां
19 दिसंबर, शुक्रवार को पौष अमावस्या है, जो व्रत और दान के लिए विशेष रूप से शुभ मानी जाती है। इसके अलावा, 24 दिसंबर, बुधवार को विघ्नेश्वर चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा। पौष शुक्ल चतुर्थी के दिन विघ्नेश्वर चतुर्थी का आयोजन होता है। 27 दिसंबर, शनिवार को गुरु गोविंद सिंह जयंती मनाई जाएगी। यह पर्व सिख धर्म के संस्थापक गुरु गोविंद सिंह के जन्मोत्सव के रूप में पूरे श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। इसके बाद 30 दिसंबर, मंगलवार को पौष शुक्ल एकादशी के रूप में पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इस व्रत को संतान सुख और परिवार की खुशहाली के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
पौष पूर्णिमा और माघ मास की शुरुआत
पौष मास का समापन 3 जनवरी 2026, शनिवार को पौष पूर्णिमा के साथ होगा। इस दिन से माघ स्नान की परंपरा प्रारंभ होती है। माघ मास में संगम में स्नान करने का विशेष महत्व है। प्रयागराज सहित अन्य पवित्र स्थलों पर माघ मेले का आयोजन होता है, जहां हजारों श्रद्धालु कल्पवास और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।
पौष मास का धार्मिक और आध्यात्मिक संदेश
पौष मास में किए जाने वाले व्रत और त्यौहार जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, आध्यात्मिक शांति और सामाजिक कल्याण लाने का माध्यम हैं। भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा अन्न और धन का दान, पवित्र नदियों में स्नान करने से न केवल पुण्य की प्राप्ति होती है बल्कि मन और आत्मा की शुद्धि भी होती है। पौष मास में श्रद्धा और भक्ति के साथ किए गए कर्म सौभाग्य और समृद्धि के लिए लाभकारी माने जाते हैं।

