नई दिल्ली /मां लक्ष्मी, धन, सुख और समृद्धि की अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। हर कोई अपने घर में उनकी कृपा पाने के लिए पूजा-पाठ और साधनाओं का सहारा लेता है। लेकिन ब्रह्मवैवर्त पुराण में बताया गया है कि कुछ ऐसी आदतें और व्यवहार हैं, जो घर में लक्ष्मी के वास को रोकते हैं। यदि कोई इनका पालन करता है, तो घर में धन और सुख की कमी हो सकती है।
लक्ष्मी को नापसंद करने वाले कार्य
लक्ष्मी को नापसंद करने वाले कार्य
पुराण के अनुसार, निम्नलिखित परिस्थितियों में लक्ष्मी का वास नहीं रहता:शंख ध्वनि न होना और तुलसी का न होना- जहां शंख की ध्वनि नहीं होती और तुलसी का पौधा नहीं होता, वहां लक्ष्मी नहीं रहती।शिव और ब्राह्मणों की अनदेखी- जहां शिवलिंग की पूजा और ब्राह्मणों को भोजन नहीं कराया जाता, वहां लक्ष्मी का मन नहीं लगता।भक्तों की निंदा- जिस घर में भक्तों की निंदा होती है, वहां लक्ष्मी का क्रोध उत्पन्न होता है और वे घर छोड़ देती हैं। एकादशी और जन्माष्टमी की अनदेखी- एकादशीऔर जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीहरि और कृष्ण का पूजन न करना भी लक्ष्मी को नाराज करता है अशुद्ध हृदय और क्रूरता- क्रूर, हिंसक, निराशावादी या निंदक व्यक्ति के घर लक्ष्मी नहीं टिकती। अतिथि अन्न का त्याग- यदि घर में अतिथियों को भोजन नहीं दिया जाता, तो लक्ष्मी का वास समाप्त हो जाता है। अनैतिक या अस्वच्छ आदतें- भिगे पैर या नंगे होकर सोना, बेसिर-पैर की बातें करना, निराशावादी होना, दिन में सोना और सूर्योदय के समय भोजन करना जैसी आदतें लक्ष्मी को दूर भगाती हैं। अनुचित व्यवहार और अपवित्रता- अपने सिर का तेल किसी पर लगाना, अपवित्रता और विष्णुभक्ति में कमी होना, ब्राह्मणों की निंदा करना, जीवों के साथ हिंसा करना, दयारहित होना आदि भी लक्ष्मी को नाराज कर देता है।
लक्ष्मी को प्रसन्न करने वाले उपाय
ब्रह्मवैवर्त पुराण में यह भी बताया गया है कि किस प्रकार घर में लक्ष्मी निवास करती हैं: भगवान श्रीहरि और श्रीकृष्ण का गुणगान- जहां इनके गुणों का गान और चर्चा होती है, वहां लक्ष्मी का वास होता है। शंख ध्वनि और पूजा- शंख की ध्वनि, शिवलिंग की पूजा, शालिग्राम और तुलसी के पौधे की स्थापना, कीर्तन और वंदना से लक्ष्मी हमेशा घर में रहती हैं। सकारात्मक और धार्मिक वातावरण- पवित्र कीर्तन, दुर्गा पूजा, भक्तों की सेवा और ध्यान से घर में लक्ष्मी की स्थायी उपस्थिति रहती है।
ब्रह्मवैवर्त पुराण में यह स्पष्ट किया गया है कि लक्ष्मी का वास केवल पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों पर नहीं बल्कि घर के वातावरण और रहन-सहन पर भी निर्भर करता है। सदाचार, अतिथियों का आदर, भक्तों की सेवा और घर में शुद्धता बनाए रखने से ही मां लक्ष्मी हमेशा प्रसन्न रहती हैं।हालांकि, यह ध्यान रखना आवश्यक है कि इस आलेख में दी गई जानकारियाँ धार्मिक ग्रंथों परआधारित हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ या धार्मिक गुरु से परामर्श लेना चाहिए।घर में सुख-समृद्धि बनाए रखना केवल पूजा का विषय नहीं है, बल्कि शुद्धता, दया और सही आचार-विचार से भी जुड़ा हुआ है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में बताए गए नियमों का पालन कर लोग घर में धन, सुख और संतोष का अनुभव कर सकते हैं।

