सजीव चित्रांकन 114 कलाकारों का हुनर
तानसेन समारोह के दौरान 114 कलाकार लाइव पेंटिंग करेंगे जिसमें 10 राष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध चित्रकार भी शामिल होंगे। ये कलाकार अपनी कला के माध्यम से तानसेन की धरोहर और भारतीय संगीत को कैनवास पर उकेरेंगे। इस दौरान विभिन्न राज्य संस्थानों और विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राएं भी इस कला के अद्भुत प्रदर्शन का हिस्सा बनेंगे।
राष्ट्रीय कलाकारों का योगदान
सजीव चित्रांकन में शामिल 10 राष्ट्रीय कलाकारों में भोपाल से आलोक भावसार पुणे से नवनाथ क्षीरसागर कोल्हापुर से अरुण सुतार जयपुर से कृष्ण कुमार कुंडारा भुवनेश्वर से रघुनाथ साहू भोपाल से दुर्गा बाई व्यास दिल्ली से सुमित्रा अहलावत मुंबई से निशिकांत पलांदे उदयपुर से मदीप शर्मा और महाराष्ट्र से संदीप अहीर जैसे कलाकार शामिल होंगे। इन सभी कलाकारों का कार्य समारोह में एक अलग रंग भरने वाला है जो तानसेन की संगीत धरोहर से प्रेरित होगा।
इसके अलावा ग्वालियर के 30 स्थानीय कलाकार राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय और ललित कला संस्थान ग्वालियर के 50 छात्र-छात्राएं और अन्य ललित कला संस्थानों के 24 कलाकार भी इस सजीव चित्रांकन के कार्य में योगदान देंगे। यह चित्रांकन 18 दिसंबर तक तानसेन समाधि स्थल पर सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक दर्शकों के लिए खुला रहेगा।
तानसेन समारोह की प्रदर्शनी चित्रों का अनोखा संग्रह
तानसेन समरोह के दौरान एक विशेष चित्र प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी जिसमें 76 कलाकारों की पेंटिंग को प्रदर्शित किया जाएगा। यह प्रदर्शनी तानसेन समारोह की प्रस्तुतियों पर आधारित होगी और सुबह 10 बजे से रात तक खुली रहेगी जिससे संगीत और कला प्रेमियों को एक साथ दोनों का आनंद मिल सकेगा।
समारोह के अन्य आकर्षण
तानसेन समारोह की शुरुआत के एक दिन पहले 14 दिसंबर को इंटक मैदान में “पूर्व रंग गमक” कार्यक्रम होगा जिसमें सूफी गायिका जसपिंदर नरूला अपनी प्रस्तुति देंगी। इसके बाद 19 दिसंबर को तानसेन समारोह की सुबह की सभा बेहट और शाम की सभा गूजरी महल में होगी। इन कार्यक्रमों के माध्यम से ग्वालियर के लोग और पर्यटक संगीत और कला के अद्भुत संगम का अनुभव कर सकेंगे।
तानसेन समारोह 2025 न केवल संगीत बल्कि कला का भी उत्सव साबित होने जा रहा है जहां कलाकारों के लाइव पेंटिंग और प्रदर्शनी के जरिए तानसेन की धरोहर को न केवल संगीत प्रेमियों बल्कि कला प्रेमियों के लिए भी प्रस्तुत किया जाएगा। यह आयोजन ग्वालियर के सांस्कृतिक परिदृश्य में एक नई ऊंचाई प्रदान करेगा।

