राज्य में दीर्घकालिक और सतत विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 4000 मेगावॉट ताप विद्युत क्षमता हेतु निविदा प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूर्ण किया गया है। यह संयंत्र DBFOO Design, Build, Finance, Own, Operate मॉडल के अंतर्गत स्थापित किए जा रहे हैं, जिनके लिए कोयला आपूर्ति ‘शक्ति’ नीति के तहत सुनिश्चित की गई है। इस कदम से प्रदेश में लगभग 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक के निवेश की संभावनाएँ बनी हैं, जिससे 5 से 7 हजार लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार प्राप्त होगा और अनेक सहायक उद्योग भी गति पकड़ेंगे।
51711 नवीन नियमित पद स्वीकृत
प्रदेश में विद्युत कंपनियों की संगठनात्मक संरचना का पुनर्गठन कर 51,711 नवीन नियमित पदों को स्वीकृति प्रदान की गई है। इससे कंपनियों की कार्यक्षमता, क्षेत्रीय उपस्थिति तथा उपभोक्ता सेवाओं का प्रभावी विस्तार संभव हो सकेगा। स्वीकृत पदों में पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी के लिये 17402, मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी के लिये 16165, पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी के लिये 15690, पावर ट्रांसमिशन कम्पनी के लिये 1431 और पॉवर जनरेटिंग कम्पनी के लिये 1017 पद हैं। इनमें भर्ती प्रक्रिया जारी है।
वर्ष 2025-26 से 2029-30 तक पारेषण प्रणाली के सुदृढ़ीकरण हेतु 5163 करोड़ रुपये के कार्य तथा सारनी व चचाई में 23,000 करोड़ रुपये लागत की 2×660 मेगावॉट की नई ताप विद्युत इकाइयों की स्थापना को स्वीकृति प्रदान की गई है। गांधीसागर तथा राणा प्रताप सागर जल विद्युत गृह के नवीनीकरण और आधुनिकीकरण की संयुक्त परियोजना को भी अनुमोदन किया गया है, जिससे जल विद्युत उत्पादन की क्षमता आने वाले वर्षों में और अधिक मजबूत होगी।
उपभोक्ताओं को राहत
ऊर्जा उपभोक्ताओं को राहत देने के उद्देश्य से अटल गृह ज्योति योजना, अटल कृषि ज्योति योजना और निःशुल्क विद्युत प्रदाय योजना के माध्यम से लाखों परिवारों और किसानों को सस्ती बिजली उपलब्ध कराई जा रही है। वर्ष 2025-26 में इन योजनाओं पर हजारों करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है, जो राज्य सरकार की जनहितकारी सोच को परिलक्षित करता है। अटल ज्योति योजना में इस वित्तीय वर्ष में 7131 करोड़, अटल कृषि ज्योति योजना में 13909 करोड़ और नि:शुल्क विद्युत प्रदाय योजना में 5299 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। आरडीएसएस योजना अंतर्गत उपकेन्द्रों, लाइनों, कृषि फीडरों के विभक्तिकरण तथा नए ट्रांसफॉर्मरों की स्थापना जैसे कार्यों को समयबद्ध तरीके से पूर्ण किया गया है। स्मार्ट मीटरिंग के क्षेत्र में मध्यप्रदेश देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है और राज्य में 26 लाख से अधिक स्मार्ट मीटर स्थापित किए जा चुके हैं। प्री-पेड स्मार्ट मीटर को बढ़ावा देने के लिए उपभोक्ताओं को ऊर्जा प्रभार में 20 प्रतिशत की छूट भी प्रदान की जा रही है।
समाधान योजना 2025-26
ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ता, जो किन्हीं कारणों से बिल नहीं जमा कर पाते, उनके लंबित बिलों पर सरचार्ज लगाया जाता है। साथ ही उनके बिजली कनेक्शन विच्छेदित कर दिये जाते हैं। ऐसे उपभोक्ताओं को सुविधा प्रदान करने के लिये समाधान योजना 2025-26 लागू की गयी है। योजना 2 चरणों में लागू की गयी है। इसका प्रथम चरण 3 नवम्बर से 31 दिसम्बर तक लागू रहेगा। दूसरा एवं अंतिम चरण एक जनवरी, 2026 से 28 फरवरी, 2026 तक रहेगा। योजना में उपभोक्ता को प्रथम चरण में एकमुश्त मूल राशि का भुगतान करने पर सर्वाधिक लाभ होगा। योजना में 6 आसानी किश्तों में भुगतान की सुविधा प्राप्त करने वाले उपभोक्ताओं को प्रथम चरण में सरचार्ज में 60 से 100 प्रतिशत तक की छूट एवं द्वितीय चरण में 50 से 90 प्रतिशत तक की छूट प्राप्त हो सकेगी। योजना में प्रदेश के सभी घरेलू, गैर घरेलू, औद्योगिक एवं कृषि श्रेणी के सभी अशासकीय उपभोक्ताओं को उनके विगत 3 माह अथवा अधिक अवधि के देयक लंबित होने की स्थिति में सरचार्ज में छूट प्राप्त कर एकमुश्त अथवा किश्तों में भुगतान की सुविधा दी गयी है।
मुख्यमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान PM-JANMAN अंतर्गत भारिया, बैगा और सहरिया जैसे पीवीटीजी समुदायों के लगभग 27 हजार घरों को बिजली से जोड़ने की कार्ययोजना को भारत सरकार द्वारा स्वीकृति दी गई है। इसमें से सितंबर 2025 तक 25,362 घरों का विद्युतीकरण पूरा कर लिया गया है। साथ ही धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान अंतर्गत 59,172 घरों के विद्युतीकरण की योजना तेजी से क्रियान्वित की जा रही है।
राज्य की पारेषण कंपनी ने वर्ष 2024-25 में 99.47 प्रतिशत उपलब्धता तथा मात्र 2.60 प्रतिशत लाइन हानियों के साथ देश में उदाहरण प्रस्तुत किया है। ड्रोन पेट्रोलिंग, ऑप्टिकल फाइबर आधारित संचार प्रणाली, हाई टेम्परेचर लो-सेग कंडक्टर और GIS उपकेन्द्र जैसी तकनीकों को अपनाकर विद्युत व्यवस्था को आधुनिक, सुरक्षित और भविष्य के अनुरूप बनाया जा रहा है। वितरण कंपनियों द्वारा जीआईएस मैपिंग, इंस्टेंट बिलिंग, मोबाइल ऐप आधारित मीटर रीडिंग और ओपन-सोर्स बिलिंग सॉफ्टवेयर जैसी व्यवस्थाएँ उपभोक्ता सेवाओं को पारदर्शी और सुगम बनाती हैं। सीएम हेल्पलाइन पर लगातार 20 माह तक A ग्रेडिंग प्राप्त करना विभागीय संवेदनशीलता और तत्परता का प्रमाण है।
उद्योगों को ऊर्जा सुरक्षा और निर्बाध सप्लाई देने के लिए ऊर्जा प्रभार में अनेक प्रकार की छूटें लागू की गई हैं। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के अंतर्गत नए संयोजन, निरीक्षण, चार्जिंग परमिशन और सेवा-प्रदान की संपूर्ण प्रक्रियाओं को सरल, पारदर्शी और डिजिटल बनाया गया है। लोक सेवा गारंटी अधिनियम में 15 ऊर्जा सेवाओं को शामिल किया गया है, जिससे उद्योगों और आम उपभोक्ताओं दोनों को निश्चित समय-सीमा में सेवाएँ उपलब्ध हो रही हैं।
ऊर्जा के क्षेत्र में मध्यप्रदेश की उपलब्धियों को राष्ट्रीय स्तर पर अनेक पुरस्कार भी मिले हैं। सतपुड़ा, अमरकंटक और श्री सिंगाजी ताप विद्युत गृहों को फ्लाय ऐश प्रबंधन, पर्यावरणीय उत्कृष्टता, सर्वाधिक प्लांट लोड फैक्टर तथा लंबे समय तक सतत संचालित रहने जैसी श्रेणियों में सम्मान प्राप्त हुआ है। पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने लगातार तीन वर्षों में विज्ञान मेले में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर प्रथम स्थान प्राप्त किया है और उसे प्रतिष्ठित पीएसयू अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत उच्च दाब कनेक्शन्स के लिये ऑनलाइन आवेदन प्राप्त कर ऑनलाइन भुगतान होने पर कनेक्शन स्वीकृत किये जा रहे हैं। कनेक्शन के लिये जरूरी दस्तावेजों की संख्या कम कर दी गयी है। उद्योगों को दी जाने वाली विभिन्न विद्युत सेवाओं को मध्यप्रदेश लोक सेवा प्रदाय गारंटी अधिनियम के तहत लाया गया है।
विद्युत गृहों द्वारा लगातार 200 से अधिक दिनों तक संचालन
मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कम्पनी संचालित 4 विद्युत गृहों ने लगातार 200 से अधिक दिनों तक संचालित रहने की उपलब्धि हासिल की है। अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई की इकाई 5 ने लगातार 400, सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारणी की इकाई 10 ने 235, श्री सिंगाजी ताप विद्युत गृह खण्डवा की इकाई 3 ने 231 और संजय गाँधी ताप विद्युत गृह बिरसिंहपुर की इकाई 5 ने 209 दिन तक लगातार विद्युत उत्पादन किया है।
नवाचार
पारेषण लाइनों की टॉप पेट्रोलिंग ड्रोन के माध्यम से की जा रही है। उन लाइनों पर जहाँ क्लियरेंस की समस्या है, वहाँ हाई टेम्प्रेचर लो सेग कंडक्टर का उपयोग किया जा रहा है। ऑप्टिकल फाइबर ग्राउण्ड वायर आधारित संचार प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है। विद्युत अधोसंरचना संधारण, निर्माण एवं विकास कार्य के लिये जीआईएस तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। शहरी क्षेत्रों में भूमि की कमी के मद्देनजर गैस इंश्यूलेटेड सब स्टेशन का निर्माण किया जा रहा है। विद्युत संबंधी शिकायतों के त्वरित निराकरण के लिये केन्द्रीयकृत कॉल सेंटरों 1912 की क्षमता वृद्धि की गयी है।
प्रदेश में ऊर्जा विभाग ने जिस गति, प्रतिबद्धता और नवाचार के साथ कार्य किया है, वह मध्यप्रदेश को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर, सक्षम और भविष्य-दृष्टि सम्पन्न राज्य बनाने की दिशा में क्रांतिकारी कदम है। आने वाले वर्षों में प्रदेश की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरी क्षमता से पूरा करते हुए हर नागरिक और हर उद्योग को विश्वसनीय, स्वच्छ और किफायती बिजली उपलब्ध कराना हमारा संकल्प है और इसी संकल्प को यथार्थ में बदलने हेतु राज्य सरकार निरंतर कार्यरत है।

