नई दिल्ली।अगर आप मानते हैं कि उम्र बढ़ने के साथ दिमाग का कमजोर होना तय है, तो विज्ञान इस सोच को बदलने की तैयारी में है। यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा की एक नई स्टडी में दावा किया गया है कि दिमाग की असली उम्र आपकी जन्मतिथि से नहीं, बल्कि आपकी रोजमर्रा की जीवनशैली से तय होती है। सही आदतें अपनाकर इंसान अपने दिमाग को 8 साल तक “युवा” बनाए रख सकता है।
MRI और मशीन लर्निंग से मापी गई ब्रेन एज
इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने अत्याधुनिक MRI स्कैन और मशीन लर्निंग तकनीक का इस्तेमाल किया। इन तकनीकों के जरिए प्रतिभागियों की ब्रेन एज यानी दिमाग की जैविक उम्र मापी गई। इसे व्यक्ति की वास्तविक उम्र से तुलना कर ब्रेन एज गैप निकाला गया, जो यह बताता है कि दिमाग कितना बूढ़ा या जवान दिखता है।
128 लोगों पर दो साल तक चला अध्ययन
इस रिसर्च में मध्यम और अधिक उम्र के 128 लोगों को शामिल किया गया। इनमें से कई लोग घुटनों के ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी क्रॉनिक मस्कुलोस्केलेटल पेन से जूझ रहे थे। आमतौर पर लंबे समय तक रहने वाला दर्द, तनाव, आर्थिक दबाव और सामाजिक समस्याएं दिमागी उम्र को तेज़ी से बढ़ाती हैं।शुरुआती दौर में इन नकारात्मक कारकों का असर जरूर देखा गया, लेकिन दो साल के फॉलो-अप में यह प्रभाव कम होता चला गया। इसकी जगह जीवनशैली से जुड़ी आदतें सबसे ज्यादा असरदार साबित हुईं।
8 साल तक जवान दिखा दिमाग
जिन प्रतिभागियों की जीवनशैली ज्यादा सकारात्मक थी, उनके दिमाग स्टडी की शुरुआत में ही औसतन 8 साल तक युवा पाए गए। इतना ही नहीं, समय के साथ उनके दिमाग की उम्र बढ़ने की गति भी धीमी रही। शोधकर्ताओं के मुताबिक अच्छी आदतें मिलकर दिमाग को उम्र से होने वाले नुकसान से बचाती हैं।
ये आदतें रखती हैं दिमाग को जवान
ये आदतें रखती हैं दिमाग को जवान
शोध में कुछ खास जीवनशैली आदतों को दिमागी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद बताया गया:
गहरी और गुणवत्तापूर्ण नींद ,आशावादी सोच और मानसिक लचीलापन, तनाव पर नियंत्रण और मानसिक शांति ,मजबूत सामाजिक रिश्ते और सपोर्ट सिस्टम ,संतुलित वजन, जिससे सूजन कम होती है तंबाकू से दूरी, जिससे ब्रेन सेल्स सुरक्षित रहती हैं
गहरी और गुणवत्तापूर्ण नींद ,आशावादी सोच और मानसिक लचीलापन, तनाव पर नियंत्रण और मानसिक शांति ,मजबूत सामाजिक रिश्ते और सपोर्ट सिस्टम ,संतुलित वजन, जिससे सूजन कम होती है तंबाकू से दूरी, जिससे ब्रेन सेल्स सुरक्षित रहती हैं
डिमेंशिया और अल्जाइमर से बचाव में मदद
शोधकर्ताओं का कहना है कि आशावाद सीखा जा सकता है तनाव को नए नजरिए से संभाला जा सकता है और नींद से जुड़ी समस्याओं का इलाज संभव है। उम्र बढ़ने के साथ दिमाग डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी बीमारियों के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो जाता है, लेकिन यह स्टडी बताती है कि छोटे-छोटे जीवनशैली बदलाव लंबे समय तक दिमाग को स्वस्थ और सक्रिय बनाए रख सकते हैं।
यह रिसर्च साफ संकेत देती है कि दिमाग की उम्र आपके हाथ में है। अगर आप अपनी आदतों पर ध्यान दें, तो न सिर्फ शरीर बल्कि दिमाग भी उम्र को मात दे सकता है।
यह रिसर्च साफ संकेत देती है कि दिमाग की उम्र आपके हाथ में है। अगर आप अपनी आदतों पर ध्यान दें, तो न सिर्फ शरीर बल्कि दिमाग भी उम्र को मात दे सकता है।

