सोनिया गांधी को पत्र लिखकर जताई थी नाराजगी
मुकीम जो पहले बाराबती-कटक सीट से विधायक रह चुके हैं ने हाल ही में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने पार्टी की स्थिति और नेतृत्व पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की थी। पत्र में उन्होंने कांग्रेस की कमजोर स्थिति का उल्लेख करते हुए सोनिया गांधी से पार्टी के भविष्य के लिए मार्गदर्शन की अपील की थी। मुकीम ने लिखा था कि कांग्रेस वर्तमान में कठिन दौर से गुजर रही है और संगठन जमीनी स्तर पर कमजोर होता जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा था कि सोनिया गांधी का मार्गदर्शन पार्टी के लिए बेहद जरूरी है ताकि पार्टी को इस संकट से उबारा जा सके।
खड़गे की उम्र और नेतृत्व पर सवाल
पत्र का सबसे विवादास्पद हिस्सा मल्लिकार्जुन खड़गे की उम्र पर था। मुकीम ने खड़गे की उम्र 83 वर्ष का जिक्र करते हुए यह सवाल उठाया कि विपक्ष के नेता के रूप में इतनी उम्र में सक्रियता दौड़-भाग और जनसंपर्क करना संभव नहीं हो पा रहा है। उन्होंने खड़गे को सलाहकार की भूमिका में रखने की सलाह दी और युवा नेतृत्व को आगे लाने की आवश्यकता पर बल दिया। मुकीम ने प्रियंका गांधी वाड्रा को केंद्रीय भूमिका में और राहुल गांधी को लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में प्रभावी बनाए जाने की बात भी की।
युवा नेताओं को आगे लाने की वकालत
मुकीम ने अपने पत्र में पार्टी में युवा नेताओं को बढ़ावा देने की वकालत की। उन्होंने सचिन पायलट डीके शिवकुमार ए रेवंत रेड्डी और शशि थरूर जैसे नेताओं को पार्टी की शीर्ष नेतृत्व टीम में शामिल करने की बात की। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस को ज्योतिरादित्य सिंधिया मिलिंद देवड़ा और हिमंता बिस्वा सरमा जैसे नेताओं के पार्टी छोड़ने के कारणों को समझना चाहिए और इसे पार्टी की उपेक्षा और अनदेखी का परिणाम बताया।
राहुल गांधी से मुलाकात न होने की शिकायत
पत्र में मुकीम ने यह भी शिकायत की थी कि वे पिछले तीन वर्षों से राहुल गांधी से मुलाकात की कोशिश कर रहे थे लेकिन उन्हें कभी समय नहीं मिल सका। उन्होंने इसे अपनी व्यक्तिगत पीड़ा नहीं बल्कि पार्टी कार्यकर्ताओं और नेतृत्व के बीच बढ़ती दूरी का प्रतीक बताया।
कांग्रेस की अनुशासनात्मक कार्रवाई
कांग्रेस ने मुकीम के इस पत्र को पार्टी अनुशासन के खिलाफ माना और उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया। ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि पार्टी विरोधी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और अनुशासन बनाए रखना पार्टी की प्राथमिकता है।
कांग्रेस पार्टी की ओर से इस मामले पर कोई विस्तृत आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है लेकिन यह कदम संगठन में अनुशासन बनाए रखने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। पार्टी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी के भीतर अनुशासनहीनता के लिए कोई स्थान नहीं है।
संघर्षपूर्ण समय में पार्टी का कदम
यह घटना उस समय हुई है जब कांग्रेस पार्टी अपने संगठन और नेतृत्व को लेकर आंतरिक असंतोष का सामना कर रही है। मुकीम का पत्र इस असंतोष की गहराई को उजागर करता है और उनकी निष्कासन की कार्रवाई से यह भी साफ हो जाता है कि कांग्रेस नेतृत्व को पार्टी में गहरी अंतर्विरोधों की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।

