चार्जशीट में यह भी बताया गया है कि इस हमले की साजिश पाकिस्तान में रची गई थी और लश्कर-ए-तैयबा तथा के आतंकवादियों ने मिलकर इस हमले को अंजाम दिया। इसके अलावा पाकिस्तान के तीन मारे गए आतंकियों के नाम भी इसमें शामिल हैं जिनमें फैसल जट्ट उर्फ सुलेमान शाह हबीब ताहिर उर्फ जिब्रान और हमजा अफगानी का नाम शामिल है। ये तीनों आतंकवादी श्रीनगर के जंगलों में चलाए गए ऑपरेशन महादेव के दौरान भारतीय सेना के साथ मुठभेड़ में ढेर हो गए थे।
चार्जशीट में एनआईए ने भारतीय दंड संहिता के तहत आर्म्स एक्ट 1969 और यूएपीए 1967 की धारा 13 18 और 20 के तहत आरोप लगाए हैं। इसके अलावा एनआईए ने दो स्थानीय कश्मीरियों परवेज अहमद और बशीर अहमद को भी आरोपी बनाया है। इन दोनों को 22 जून को गिरफ्तार किया गया था। उन पर आतंकवादियों को पनाह देने और उन्हें मदद पहुंचाने का आरोप है। पूछताछ के दौरान इन दोनों ने यह भी स्वीकार किया कि पाकिस्तान के ये आतंकवादी लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य थे।
एनआईए के मुताबिक आतंकवादियों को पनाह देने और उनकी मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए दोनों स्थानीय कश्मीरियों ने हमले में शामिल तीन पाकिस्तानी आतंकवादियों की पहचान भी की। इससे यह साबित होता है कि पाकिस्तान में बैठे आतंकवादी संगठनों ने इस हमले की साजिश रची थी और इसमें स्थानीय कश्मीरियों का भी सहयोग था।
चार्जशीट में यह भी उल्लेख किया गया कि हमले के बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित आतंकवादी ठिकानों को तबाह किया। इसके बाद पाकिस्तान ने भारत पर हमला करना शुरू कर दिया लेकिन भारतीय सेना के मजबूत डिफेंस सिस्टम के सामने पाकिस्तान की कार्रवाइयां नाकाम हो गईं। अंत में पाकिस्तान को युद्धविराम की ओर कदम बढ़ाना पड़ा।
यह चार्जशीट आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ नीति और पाकिस्तान द्वारा आतंकवादियों को पनाह देने की निरंतर कोशिशों को उजागर करती है। एनआईए द्वारा किए गए इस खुलासे से यह स्पष्ट हो गया है कि लश्कर-ए-तैयबा और TRF जैसे आतंकवादी संगठन भारत के खिलाफ लगातार साजिशें रच रहे हैं।
एनआईए की चार्जशीट से यह भी संदेश जाता है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ने वाला है और पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई जारी रखेगा। इस मामले में आगे की जांच जारी है और आरोपी आतंकवादियों को पकड़ा जाने तक उनकी तलाश जारी रहेगी।

