प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हादसे के समय एक्सप्रेसवे पर दृश्यता बेहद कम थी। घना कोहरा इतना अधिक था कि कुछ मीटर आगे तक देख पाना भी मुश्किल हो रहा था। इसी दौरान एक तेज रफ्तार बस आगे चल रहे वाहन से टकरा गई। अचानक हुई इस टक्कर के बाद पीछे से आ रही बसें और कारें एक के बाद एक भिड़ती चली गईं, जिससे कुछ ही पलों में पूरा इलाका अफरा-तफरी में बदल गया।टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि पांच बसों और दो कारों में देखते ही देखते आग भड़क उठी। आग लगते ही कई यात्री वाहनों के अंदर फंस गए। चीख-पुकार और धमाकों की आवाज से आसपास के गांवों में दहशत फैल गई। स्थानीय ग्रामीण तुरंत मौके पर पहुंचे और अपनी जान जोखिम में डालकर राहत कार्य में जुट गए। कई लोगों को बसों की खिड़कियां तोड़कर बाहर निकाला गया।
हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस, फायर ब्रिगेड, एंबुलेंस और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंच गईं। दमकल कर्मियों को आग पर काबू पाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। आग की लपटें इतनी तेज थीं कि कुछ वाहनों को पूरी तरह जलने से बचाया नहीं जा सका। करीब 20 एंबुलेंस की मदद से लगभग 150 यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकालकर जिला अस्पताल और नजदीकी निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया।
जिला अधिकारी सीपी सिंह ने हादसे में चार लोगों की मौत की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि घायलों की हालत फिलहाल खतरे से बाहर है और सभी का इलाज जारी है। प्रशासन की ओर से राहत और बचाव कार्य तेजी से चलाया गया, जिससे कई लोगों की जान बचाई जा सकी।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस दर्दनाक हादसे का संज्ञान लिया है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि घायलों को हर संभव चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए और मृतकों के परिजनों को आवश्यक सहायता प्रदान की जाए। साथ ही, हादसे के कारणों की गहन जांच के आदेश भी दिए गए हैं।
प्रशासन ने क्षतिग्रस्त वाहनों को हटाने का कार्य शुरू कर दिया है और यमुना एक्सप्रेसवे पर यातायात धीरे-धीरे बहाल किया जा रहा है। अधिकारियों ने खास तौर पर सर्दियों के मौसम में कोहरे के दौरान वाहन चालकों से सतर्क रहने, गति सीमित रखने और सुरक्षित दूरी बनाए रखने की अपील की है।यह हादसा एक बार फिर से यह चेतावनी देता है कि घने कोहरे में लापरवाही और तेज रफ्तार कितनी जानलेवा साबित हो सकती है।

