नई दिल्ली । देश में बढ़ते हुए संगठित साइबर अपराधों पर एक बड़ी कार्रवाई करते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो CBI ने एक अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी रैकेट का खुलासा किया है जिसका अनुमानित आकार ₹1 000 करोड़ से अधिक का है। यह गिरोह फर्जी ऑनलाइन स्कीमों के माध्यम से आम जनता को निशाना बना रहा था। CBI ने इस मामले में गहन जांच के बाद 17 आरोपियों के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोपपत्र चार्जशीट दाखिल किया है। इन आरोपियों में चार विदेशी नागरिक भी शामिल हैं जो इस रैकेट के अंतर्राष्ट्रीय आयामों को दर्शाते हैं।
ठगी का तरीका और विदेशी कनेक्शन
जांच में सामने आया है कि यह अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क बेहद संगठित तरीके से काम कर रहा था। ठगों ने ऑनलाइन माध्यमों का इस्तेमाल करते हुए लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाए फर्जी लोन ऑफर आकर्षक लेकिन झूठे लोन प्रस्तावों के ज़रिए प्रोसेसिंग फीस या सिक्योरिटी डिपॉजिट के नाम पर ठगी करना।
नकली निवेश और पोंजी स्कीम मल्टी लेवल मार्केटिंग और पोंजी योजनाओं के झूठे वादे देकर लोगों से बड़ी पूंजी निवेश करवाना।
नकली निवेश और पोंजी स्कीम मल्टी लेवल मार्केटिंग और पोंजी योजनाओं के झूठे वादे देकर लोगों से बड़ी पूंजी निवेश करवाना।
फर्जी मोबाइल ऐप कई नकली मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करके वित्तीय धोखाधड़ी को अंजाम देना।झूठे नौकरी प्रस्ताव अच्छी वेतन वाली नौकरी का झांसा देकर सिक्योरिटी डिपॉजिट या रजिस्ट्रेशन फीस लेना।CBI सूत्रों के अनुसार इस पूरे नेटवर्क के संचालन में चीन से जुड़े ठगों की महत्वपूर्ण भूमिका थी जो भारत में मौजूद अपने सहयोगियों के साथ मिलकर इस बड़े पैमाने की धोखाधड़ी को अंजाम दे रहे थे।
फर्जी कंपनियों का जाल
धोखाधड़ी से प्राप्त राशि को वैध दिखाने और उसे विदेश भेजने के लिए इस गिरोह ने कंपनियों का एक बड़ा जाल बिछाया था। प्रारंभिक जांच में 58 से लेकर 111 जैसा कि शीर्षक में बताया गया है तक फर्जी या शेल कंपनियों का पता चला है जिनका उपयोग केवल ठगी के पैसे को लेयरिंग करने के लिए किया जाता था।CBI ने इस मामले में अक्टूबर में गिरोह के तीन प्रमुख आरोपियों को गिरफ्तार किया था।
आरोपपत्र में सभी 17 आरोपियों पर धोखाधड़ी आपराधिक साजिश और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम IT Act की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं।इस खुलासे से यह साफ होता है कि साइबर अपराधी अब छोटे स्तर पर नहीं बल्कि बड़े अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क बनाकर संगठित रूप से काम कर रहे हैं जिससे निपटने के लिए केंद्रीय एजेंसियों को लगातार अपनी जांच तकनीकों को उन्नत करना पड़ रहा है। CBI की यह सफलता देश में साइबर अपराधों के खिलाफ एक बड़ी जीत मानी जा रही है।

